Maiya Samman Yojana Fraud: दूसरे राज्यों से फर्जीवाड़ा कर उठाया लाभ, अब CID की होगी सख्त कार्रवाई

Maiya Samman Yojana Fraud: झारखंड सरकार की बहुचर्चित मंईयां सम्मान योजना महिलाओं के लिए एक बड़ी राहत बनकर आई थी, लेकिन अब इस योजना में फर्जीवाड़ा की घटनाएं सामने आ रही हैं। सरकारी आंकड़ों में खुलासा हुआ है कि कई ऐसे लाभुक भी इस योजना से पैसे ले रहे थे, जो झारखंड के रहने वाले ही नहीं हैं।

दरअसल, योजना की पारदर्शिता को ठेंगा दिखाते हुए बिहार और पश्चिम बंगाल के लोगों ने झारखंड की योजना का लाभ उठा लिया। अब सरकार ने इस पूरे मामले की जांच CID को सौंप दी है, जिससे यह साफ हो सके कि आखिर यह खेल कैसे हुआ और इसके पीछे कौन लोग हैं। यह मामला सिर्फ पूर्वी सिंहभूम जिले तक सीमित नहीं है, बल्कि आशंका है कि ये गिरोह राज्य के कई हिस्सों में इस तरह की हरकतें कर चुका है।

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बाहरी राज्यों के फर्जी लाभुकों का खुलासा

मंईयां सम्मान योजना में जो सबसे चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है, वह यह है कि इस योजना के 172 फर्जी लाभार्थी झारखंड के नहीं बल्कि बिहार और बंगाल के हैं। गालूडीह थाना क्षेत्र में जब यह जानकारी सामने आई, तब नौ जुलाई को इन सभी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई।

जांच में पता चला कि ये लाभुक बिहार के किशनगंज और पश्चिम बंगाल के उत्तर दिनाजपुर जिलों से हैं, लेकिन दस्तावेजों में इन्होंने खुद को झारखंड का निवासी बताकर योजना का लाभ लिया। इस बात से साफ जाहिर होता है कि यह कोई अकेली गलती नहीं बल्कि एक सुनियोजित फर्जीवाड़ा है, जिसमें कई लोग शामिल हो सकते हैं।

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फर्जीवाड़े के पीछे सक्रिय गिरोह की जांच करेगी CID

अब जब यह मामला गंभीर रूप ले चुका है, तो इसकी पूरी जांच CID को सौंप दी गई है। CID यह पता लगाएगी कि इन फर्जी लाभार्थियों ने योजना में रजिस्ट्रेशन कैसे कराया, उनके डॉक्यूमेंट्स कैसे मान्य हो गए और किसने उन्हें सहायता की।

इसके साथ ही यह भी देखा जाएगा कि कहीं अन्य जिलों में भी इसी तरह का रैकेट तो काम नहीं कर रहा। CID गालूडीह थाने से जुड़े सभी दस्तावेज जल्द ही अपने कब्जे में लेगी और जांच की प्रक्रिया तेज करेगी।

योजना की साख और भविष्य पर उठ रहे सवाल

सरकार की किसी भी योजना की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि उसका लाभ सही और पात्र लोगों तक पहुंचे। मंईयां सम्मान योजना महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए शुरू की गई थी, लेकिन फर्जीवाड़े की वजह से इसकी साख पर सवाल उठने लगे हैं।

अगर समय रहते इस पर लगाम नहीं लगाई गई, तो यह न केवल सरकारी बजट का नुकसान है, बल्कि वास्तविक लाभुकों के हक पर भी चोट है। अब सरकार और प्रशासन की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह दोषियों को जल्द से जल्द पकड़े और भविष्य में इस तरह की धोखाधड़ी न हो, इसके लिए कड़ी मॉनिटरिंग व्यवस्था बनाई जाए।

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